श्वेता। …… राधा की विरह वेदना
हे मेरे प्रिये !
चन्दन जैसे स्वच्छ मन वाले हो तुम
तू ही दूर करती है मेरी मन की ताप
तू ही मेरी जीवन है
मै ही तेरी संगी हूँ
चांदिनी दिलाती है तेरी यादें
कितिने दिन होगये मैं तेरी आघोष में सोये
मैं इस विरह सह नहीं सकती
बतावो कब तुम यहाँ आती
तुम यहाँ कब आओगे
ये खबर कैसे बताओगे
हे मेरे प्रिये !
चन्दन जैसे स्वच्छ मन वाले हो तुम
तू ही दूर करती है मेरी मन की ताप
तू ही मेरी जीवन है
मै ही तेरी संगी हूँ
चांदिनी दिलाती है तेरी यादें
कितिने दिन होगये मैं तेरी आघोष में सोये
मैं इस विरह सह नहीं सकती
बतावो कब तुम यहाँ आती
तुम यहाँ कब आओगे
ये खबर कैसे बताओगे
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